पाठा की बनवासी बेटियों ने कथक की थाप पर दिखाया अपना हुनर

पाठा की बनवासी बेटियों ने कथक की थाप पर दिखाया अपना हुनर

– वनवासियों के राम और कथक नृत्य के साथ ठुमरी की प्रस्तुत

रिपोर्ट सुरेन्द्र सिंह कछवाह

चित्रकूट: विगत 1 माह से अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान में संस्थापक गोपाल भाई द्वारा पाठा की 35 बनवासी बेटियों को व्यक्तित्व विकास ज्योति शिविर के प्रशिक्षण का दिया जा रहा था। जिसमें बेटियों को नाट्य कला, कत्थक नृत्य का प्रशिक्षण दिया जा रहा था। कायर्क्रम का शुभारंभ दीपप्रज्वलन कर किया गया।
प्रस्तुति के क्रम में सवर्प्रथम वनवासियों के राम नाटक का प्रदशर्न किया गया। इस प्रस्तुति को देख सभी दशर्क भावुक हो गए। ग्रामोदय विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के विभाग अध्यक्ष कमलेश थापक ने कहा कि उन्होंने पहले ऐसा प्रदशर्न कहीं नहीं देखा। एक-एक कडी संजोकर प्रदशिर्त किया है। कामतानाथ प्रथम मुखारविंद के संत मदन गोपालदास महाराज ने कहा कि बच्चियों ने इस प्रदशर्न में सजीवता ला दी। प्रभु श्री राम के प्रति चित्रकूट के वनवासियों का ऐसा प्यार शायद ही किसी और जगह देखने को मिले। साथ ही उन्होंने संस्कृति विभाग की ओर से नाटक कला प्रशिक्षक रोजी दुबे की प्रशंसा की।
दूसरी प्रस्तुति कथक नृत्य की हुई जिसका प्रशिक्षण आकांक्षा पांडेय द्वारा दिया गया। कथक की टीम ताल, ठुमरी व प्रभु श्री कृष्ण की माखन लीला के प्रदशर्न ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। संगीत संगत लल्लूराम शुक्ल, अवधेश व बूटी द्वारा दिया गया। आलोक द्विवेदी ने कहा कि पाठा के वनवासी सदैव प्रतिभा के धनी रहे हैं। पूवर् में हम सभी को परंपरागत संगीत, राई, कोल्हाई आदि की झलक मिलती थी, परन्तु अब नई पीढी ने पुरातन संगीत को जोडते हुए एक नई रचना, नया संगीत साथ ही एक नई प्रतिभा को सीखा व प्रदशिर्त किया। कायर्क्रम का संचालन रीना सिंह ने किया। सभी का आभार संस्थान निदेशक राष्ट्रदीप ने किया।
इस मौके पर अध्यक्ष राजेश सिन्हा, अचर्न, सचिंद्र उपाध्याय, मनोज द्विवेदी, दृष्टि संस्थान संस्थापक शंकरलाल गुप्ता, बलबीर सिंह आदि मौजूद रहे।
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