रानीपुर टाइगर रिजर्व के जंगल मे हरे पेड़ो का कटान जोरों पर,वन विभाग बना उदासीन

  1. रानीपुर टाइगर रिजर्व के जंगल मे हरे पेड़ो का कटान जोरों पर,वन विभाग बना उदासीन
  2. जंगल मे खड़े पेड़ों को ठूंठ अवैध कटान की दे रहे गवाही

रिपोर्ट अर्जुन कश्यप

चित्रकूट। सरकार ने रानीपुर वन्यजीव विहार को टाइगर रिजर्व को दर्जा तो दे दिया, लेकिन टाइगर रिजर्व के सुरक्षा को लेकर कोई भी बेहतर इंतजाम नहीं किए गए हैं। जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते यहां न वन या वन्यजीव दोनों भी सुरक्षित नहीं है। जंगल मे शिकार और अवैध कटान की इतनी घटनाएं सामने आने के बाद भी डिप्टी डायरेक्टर द्वारा लापरवाहियों पर कार्यवाही न करना जंगलराज का पुख्ता सबूत है। वन अपराधियों पर भी किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं होने से उनके हौसले बुलंद हैं।
रानीपुर टाइगर रिजर्व क्षेत्र के मारकुंडी वनपरिक्षेत्र भाग दो मे शिकारियों भारी आतंक है। छेरिहा,मारकुंडी, खदरा सोसायटी, दररीमाफी आदि क्षेत्र मे करंट प्रवाहित तार लगाकर जंगली जानवरों का धड़ल्ले से शिकार हो रहा है। जगह-जगह लगाए जा रहे करंट से रात मे खेतों की रखवाली करने वाले डरे हुए किसान चिंता जाहिर की है। कृषक रामलाल,सुखदेव का कहना है कि रात्रि मे खेतों की रखवाली करना खतरों से खेलना है। शिकारियों द्वारा बेरोकटोक करंट लगाया जा रहा है। करंट से लगातार हो रही शिकार की घटनाओं के बाद भी वनविभाग के जिम्मेदार गहरी नींद मे मस्त हैं। आखिर जागेंगे कब ? मारकुंडी रेंज के दररीमाफी,छेरिहा,जमुनिहाई,टिकरिया,रूख्मा आदि जंगलों मे जमकर हरे पेड़ों की कटान की जा रही है। वन विभाग के रात्रि गश्त के दावे पर सवाल उठ रहे हैं।

रेंजर बरत रहे लापरवाही

रानीपुर टाइगर रिजर्व क्षेत्र के क्षेत्रीय वनाधिकारी मारकुंडी मो. नदीम मारकुंडी रेंज आवास मे रहने के बजाय जिले मे अपना आवास बना रखा है। न जाने क्यों रेंजर को मुख्यालय नहीं छोड़ा जा रहा है। उधर शिकारी और तस्कर जंगल और लंगली जानवरों पर खुलेआम अत्याचार कर रहे हैं। रेंजर के रेंज आवास मे न रहने से अधीनस्थ कर्मचारी भी मनमानी कर रहे हैं। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर रेंजर के ऊपर किसकी छत्रछाया है, जो इतनी बड़ी लापरवाही कर मनमानी कर रहे हैं।
रानीपुर टाइगर रिजर्व  के जंगल मे हरे पेड़ो का कटान जोरों पर,वन मला उदासीन

अंधाधुंध कटाई से सिमट रहा जंगल ,,क्षेत्र का जंगल लगातार कम होता जा रहा है और पेड़ों के स्थान पर खेत आकार ले रहे हैं। जंगल कटने से वन प्राणियों का भी नुकसान हो रहा है। जंगल कटने के कारण उन्हें जंगल छोड़कर भागना पड़ रहा है। गौरतलब है कि इस समय जंगल में अंधाधुंध कटाई की जा रही है लेकिन वन विभाग लकड़ी चोरों द्वारा छोड़ी गई लकड़ी जब्त कर अपनी पीठ थपथपा रहा है। ट्रैक्टरों से लकड़ियों का परिवहन किया जा रहा है। मारकुंडी वनपरिक्षेत्र के दररीमाफी जंगल मे विगत दिनों पकड़ा गया लकड़ी से लोड ट्रैक्टर जंगलों मे हो रही कटान का पुख्ता सबूत है। इसके साथ जंगलों मे खड़े पेड़ों के ठूंठ अवैध कटान की गवाही दे रहे हैं। इसमें वन विभाग द्वारा लीपापोती कर कार्यवाही के नामपर खानापूर्ति कर ट्रैक्टर को छोड़ दिया है। जिस वन भूमि पर कभी घना जंगल हुआ करता था अब वहां खाली मैदान पड़ा नजर आ रहे हैं। मारकुंडी वन परिक्षेत्र में हो रही अंधाधुंध कटाई के कारण जंगल के वन प्राणियों की संख्या घटती जा रही है। जंगलों में बचेकुचे वन्यजीवों का चोरी छिपे शिकार हो रहा है।

जंगल बचाने में दिलचस्पी नहीं

मारकुंडी रेंज में वन विभाग के कर्मचारियों की मिली भगत से लकड़ी चोरों का बोल बाला है। वन विभाग का मैदानी अमले ने अभी तक अवैध रूप से ले जा रही कीमती लकड़ी परिवहन कर रहे तस्करों पर कोई कार्यवाही नहीं की है। जंगल मे अवैध तरीके से काटे जा रहे हरे पेड़ों को बचाने में वन विभाग दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। वन विभाग के कर्मचारी मूक दर्शक बन कर तमाशा देख रहे हैं। दररीमाफी बीट के जंगलों का यह आलम है कि लकड़ी चोर दिन में हरे-भरे पेड़ों का अवैध कटान कर रात के अंधेरे मे वाहनों मे भरकर ले जाते हैं।जंगल में नहीं हो रही पर्याप्त निगरानी,,जंगल मैदान बन गए हैं। मारकुंडी गांव के गौरी शंकर ने बताया कि वन कर्मचारियों की मिली भगत से जंगल के हरे-भरे पेड़ कटवाए जा रहे हैं। इससे हमारे क्षेत्र का घना जंगल अब मैदान नजर आ रहा है। इसकी शिकायत कई बार हम लोगों ने वन विभाग के बड़े अधिकारियों से की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे क्षेत्र के लकड़ी चोरों के हौंसले बुलंद है। दीपक ने बताया कि दिन में लकड़ी चोर हरे भरे पेड़ काट कर जंगल में पटक देते हैं। रात के समय ट्रैक्टरों से ले जाते हैं। वन विभाग द्वारा कार्रवाई नहीं होने से तस्करों के हौसले बुलंद हैं। वन विभाग का रात्रिगश्त का दावा पूरी तरह से झूंठा साबित हो रही है।

 

Surendra Singh kachhawah founder of news ki shakti