शिव पावर्ती विवाह की कथा सुन भाव विभोर हुए कथा श्रोता

शिव पावर्ती विवाह की कथा सुन भाव विभोर हुए कथा श्रोता

रिपोर्ट सुरेन्द्र सिंह कछवाह

चित्रकूट: परमहंस संत रणछोड़ दास महाराज द्वारा जानकीकुंड में स्थापित श्री रघुवीर मंदिर ट्रस्ट बड़ी गुफा में अरविंद भाई मफत लाल की जन्म शताब्दी वषर् के उपलक्ष्य में चल रही नौ दिवसीय कथा में मिथिला धाम से पधारे किशोरी शरण मधुकर महाराज (मुढिया बाबा सरकार) राम कथा का गान कर रहे है।
किशोरी शरण महाराज ने कथा के तीसरे दिन सवर्प्रथम श्री सदगुरू सेवा संस्थान के अध्यक्ष विषद भाई मफत लाल की धमर् पत्नी रूपल बहन ने रामकथा पोथी और पूजन अचर्न किया। इसके बाद उन्होंने शिव पावर्ती विवाह की कथा सुनाते हुए बताया कि सती का द्वातीय जन्म राजा हिमांचल के यहां पावर्ती के रूप में हुआ और जैसे ही यह खबर नारद को मिलती है। नारद तुरंत राजा हिमांचल के यहां पहुंच जाते है। नारद जैसे ही राजा हिमांचल के यहां पहुंचते है, तुरंत राज हिमाचल आसान बैठाते है और उनके चरण पखारते है। इसके बाद नारद हिमाचल की पुत्री पावर्ती के हाथों की रेखा देखते है और राजा हिमांचल से कहते है कि यह आपकी बेटी सुंदर सुशील है। नारद ने उनका नामकरण किया और उमा, अंबिका, पावर्ती नाम रखते है। उन्होंने बताया कि इनमे शिव के गुण दिखते है। इनको तप करना पडेगा तभी शिव इन्हे पति रूप में प्राप्त होगे। यह सुनते ही राजा हिमांचल और माता सुनैना को तो दुख होता है पर पावर्ती खुश होती है। पावर्ती बोलती है कि आज से ही शिव को पति रूप में पाने के लिए तप करूंगी। उन्होंने बताया कि एक बार भगवान शिव ने सप्त ऋषियों को पावर्ती की परीक्षा लेने के लिए भेजा तो ऋषियों ने पावर्ती से कहा कि हम आपको इनसे अच्छा वर खोज देगे तो पावर्ती ने कहा कि उनके गुरु महराज शिव को पति रूप में पाने के लिए बता गए है, तो अब आप लोग कहा चक्कर में पडे है अब तो उन्हें पति रूप में भगवान शिव को ही वरण करूंगी। वही मेरे पति हांेगे। इतना सुनते ही लगन पत्रिका सजाई गई है और राजा हिमाचल के यहा भेजी गई और विवाह की तैयारी शुरू हो गई। शिव पावर्ती का विवाह संपन्न हुआ और इन्ही से दो पुत्र कातिर्केय और गणेश पैदा हुए। शिव पावर्ती विवाह की कथा सुन सभी श्रोता भाव विभोर हो गए।