होलिका दहन का धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व-, राजकुमार अश्क

होलिका दहन का धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व-, राजकुमार अश्क

संवाददाता जौनपुर उपेंद्र रितुरगं

जौनपुर । होलिका दहन पर उपेंद्र रितुरगं की राजकुमार,जी जानकारी का अंश हिन्दू धर्म दो ऐसे त्योहार है जिसमें अग्नि प्रज्ज्वलित की जाती है दोनों ही त्योहारों में अग्नि प्रज्ज्वलित करने का धार्मिक आधार होने के साथ वैज्ञानिक पहलू भी होता है।
*धार्मिक आधार* प्राचीन ग्रंथों में यह वर्णन मिलता है कि हिरण्यकश्यप नामक एक राजा हुआ करता था जिसका जन्म राक्षस कुल में हुआ था, उसका एक पुत्र प्रहलाद था जो भगवान् विष्णु का अनन्य भक्त था यह बात राजा हिरण्यकश्यप को स्वीकार नहीं थी कि उसका पुत्र भगवान् की भक्ति करें। इस कारण उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि तुम्हें यह वरदान मिला है कि अग्नि तुम्हें जला नहीं सकती है इसलिए तुम प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाओ। होलिका ने ऐसा ही किया मगर वह कहावत चरितार्थ हो गई *बचाने वाला है भगवान् मारने वाला है भगवान्* प्रहलाद तो बच गये मगर होलिका जल गई। इस तरह बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में भी होलिका दहन करते हैं।
वैज्ञानिक आधार
जहाँ एक तरफ़ दिपावली के दिन दीपक जला कर धन संपत्ति आदि पाने के लिए माता लक्ष्मी की आराधना की जाती है वही दूसरी तरफ़ होली में होलिका दहन करके तन मन से नकारात्मक विचारों को नष्ट किया जाता है। जिस समय होलिका दहन किया जाता है वह समय शीत ऋतु के अंत तथा ग्रीष ऋतु के आगमन का होता है कहने तात्पर्य यह है कि यह मौसम परिवतर्न का समय होता है। जिस कारण तमाम तरह के कीटाणु विषाणु एवं जीवाणु हमारे पर्यावरण में सक्रिय हो जाते हैं, इनकी वृद्धि का यह सबसे उचित समय माना जाता है। जिस कारण अनेको प्रकार की संक्रमित बिमारियाँ होने का खतरा बन जाता है।
होलिका दहन एक विशेष दिन और विशेष समय पर एक साथ किया जाता है जिसमें अनेक ऐसे पदार्थों का या यूँ कहें सामग्रियों का प्रयोग किया जाता है जो इन विषाक्त जीवाणुओं को नष्ट करने में बहुत मदद करते हैं।
यदि हम अपने तन की बात करें तो इसका लाभ प्रत्यक्ष रूप से मिलता है। जिस समय होलिका दहन होता है उस समय सभी लोग होलिका के चारों ओर उसकी परिक्रमा करते हैं और प्रज्ज्वलित अग्नि का तापमान उस समय इतना अधिक होता है जिसे किटाणु सहन नहीं कर पाते हैं और नष्ट हो जाते हैं। बहुत से जगह पर होली के दिन उबटन लगाने का भी रिवाज हैं जिसका सीधा संबंध विज्ञान से है। उबटन लगाने से शरीर में मौजूद बैक्टीरिया उसमें चिपक जातें हैं उस उबटन को यदि आग में जला दिया जाता है तो चिपके हुए बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं।
सनातन धर्म से जुड़े जितने भी त्योहार है उन सब का यदि आध्यात्मिक आधार है तो वैज्ञानिक आधार से भी मुॅंह नहीं मोड़ा जा सकता है
*दी गई जानकारी लोक कथाओं, प्रवचनों, स्थानीय मान्यताओं एवं बडे़ बुजुर्गों की कही बातों पर आधारित है*